जिंदगी के इस मुकाम पर,
हाथ कोई थामता नहीं ।
जिनको उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
वहीं कहते हैं आप अपना रास्ता नापते क्यों नहीं।
आँखे पथरा सी गई हैं,
पर आँखों का तारा,
हमारी आँखो का उजाला बनते नहीं,
हमारे रहबर को आपने बुला लिया ऐ! खुदा
हमें क्यों बुलाते नहीं,
क्योंकि जिंदगी के इस,
मुकाम पर राह कोई ओर नजर आती नही।
आप ही थाम लो हाथ हमारा, अपना तो कोई हाथ थामता नहीं.............
रेहाना अली
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हाथ कोई थामता नहीं ।
जिनको उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
वहीं कहते हैं आप अपना रास्ता नापते क्यों नहीं।
आँखे पथरा सी गई हैं,
पर आँखों का तारा,
हमारी आँखो का उजाला बनते नहीं,
हमारे रहबर को आपने बुला लिया ऐ! खुदा
हमें क्यों बुलाते नहीं,
क्योंकि जिंदगी के इस,
मुकाम पर राह कोई ओर नजर आती नही।
आप ही थाम लो हाथ हमारा, अपना तो कोई हाथ थामता नहीं.............
रेहाना अली
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