बेटी हू अपने बाप की,
बड़े नाजो से पली हूँ।
अपनी माँ के दिल की,
नाजुक सी कली हूँ।
ना मुझको यू रुलाना,
ना मुझको यू सताना।
तुम जख्म कली को दोगे,
तो दर्द दिल को होगा।
तड़प-तड़प कर माँ का दिल रोने लगेगा....
इसलिये तुम इस कली को तुम,
इक फूल बनने देना,
इसकी खुशबू से जिंदगी महकने देना।
रेहाना अली
----------------
----------------
0 Comments